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शनिवार, 17 दिसंबर 2011

१४.बच्चे

बहुत पसंद हैं मुझे बच्चे,
खिलौनों जैसे,
हर समय मुस्करानेवाले,
तुतलाकर बोलनेवाले,
लड़खड़ाकर चलनेवाले-
खूब मनोरंजन करते हैं.

डांट दो तो चुप,
पीट दो तो रो देते हैं,
नहीं करते सवाल-जवाब,
जैसा कहो, कर देते हैं,
जहाँ कहो, चल देते हैं.

न कोई बड़ी मांग,
न बड़ी ज़रूरत,
सस्ते में निपट जाते हैं ऐसे बच्चे.

बड़े बच्चे परेशान करते हैं,
जो कहो उसका उल्टा,
न डांट का असर, न मार का,
अपना दिमाग होता है उनका,
अपनी मर्ज़ी से जाते हैं कहीं भी,
वही करते हैं जो चाहते हैं.

मुझे बिल्कुल पसंद नहीं
ऐसे स्वतंत्र दिमाग वाले बच्चे.

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