१४.बच्चे
बहुत पसंद हैं मुझे बच्चे,
खिलौनों जैसे,
हर समय मुस्करानेवाले,
तुतलाकर बोलनेवाले,
लड़खड़ाकर चलनेवाले-
खूब मनोरंजन करते हैं.
डांट दो तो चुप,
पीट दो तो रो देते हैं,
नहीं करते सवाल-जवाब,
जैसा कहो, कर देते हैं,
जहाँ कहो, चल देते हैं.
न कोई बड़ी मांग,
न बड़ी ज़रूरत,
सस्ते में निपट जाते हैं ऐसे बच्चे.
बड़े बच्चे परेशान करते हैं,
जो कहो उसका उल्टा,
न डांट का असर, न मार का,
अपना दिमाग होता है उनका,
अपनी मर्ज़ी से जाते हैं कहीं भी,
वही करते हैं जो चाहते हैं.
मुझे बिल्कुल पसंद नहीं
ऐसे स्वतंत्र दिमाग वाले बच्चे.
बहुत पसंद हैं मुझे बच्चे,
खिलौनों जैसे,
हर समय मुस्करानेवाले,
तुतलाकर बोलनेवाले,
लड़खड़ाकर चलनेवाले-
खूब मनोरंजन करते हैं.
डांट दो तो चुप,
पीट दो तो रो देते हैं,
नहीं करते सवाल-जवाब,
जैसा कहो, कर देते हैं,
जहाँ कहो, चल देते हैं.
न कोई बड़ी मांग,
न बड़ी ज़रूरत,
सस्ते में निपट जाते हैं ऐसे बच्चे.
बड़े बच्चे परेशान करते हैं,
जो कहो उसका उल्टा,
न डांट का असर, न मार का,
अपना दिमाग होता है उनका,
अपनी मर्ज़ी से जाते हैं कहीं भी,
वही करते हैं जो चाहते हैं.
मुझे बिल्कुल पसंद नहीं
ऐसे स्वतंत्र दिमाग वाले बच्चे.
मुझे बिल्कुल पसंद नहीं
जवाब देंहटाएंऐसे स्वतंत्र दिमाग वाले बच्चे...swatantra hona to thik hai, swachhandta sahi nahi
पसंद अपनी अपनी ...
जवाब देंहटाएंपहले वाले बच्चों से अच्छा कोई नहीं ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत ही अच्छा लिखा है ... ।
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