बीमारियों से घिरे पिता
नहीं जाना चाहते अस्पताल,
खांसते रहते हैं दिन भर
सहते रहते हैं दर्द।
ज़ोर दो, तो कहते हैं
अस्पताल में होंगे बेकार के टेस्ट,
चुभाए जाएंगे इंजेक्शन,
खानी होंगी ढेर सी दवाइयां,
सहने होंगे साइड इफ़ेक्ट्स।
पिता कहते हैं,
घरेलू इलाज सबसे अच्छा है,
वे बनाते रहते हैं काढ़े,
पीते रहते हैं तरह-तरह की चाय।
मैं जानता हूँ,
पिता क्यों नहीं जाते अस्पताल,
उन्होंने बचा रखे हैं पैसे
हमारी बीमारियों के लिए।
पितृ दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच बात! सब के पिता ऐसे ही होते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंगहरी सोच है पिता की ... और इस रचना की ...
जवाब देंहटाएंशायद पिता ने जान लिया है जीवन का सार प्रेम है
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