वह रक्त, जो तुम्हारी रगों में दौड़ रहा है,
सिर्फ़ तुम्हारा नहीं है,
उसमें ज़मीन का पानी है,
किसान का उपजाया अनाज है,
न जाने किस-किस की कोशिशों ने
कितनी-कितनी तकलीफ़ें उठाकर
निर्माण किया है उस रक्त का ।
तुम्हारा रक्त सिर्फ़ तुम्हारा नहीं है,
दूसरों का भी है,
इसलिए रक्तदान करो,
समाज का क़र्ज़ अदा करो।
बहुत सुंदर प्रेरित करती रचना
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना है ...
जवाब देंहटाएंरक्त ही नहीं तन भी हमारे नहीं हैं, दिये हैं किसी ने उपहार में, इनकी कद्र करनी है
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