कविताएँ
बुधवार, 15 जुलाई 2020
४५८. छोटा
जब वह गर्भ में आया,
निढाल हो चुकी थी माँ
बच्चे जनते-जनते,
हाँफते-हाँफते दौड़कर
मंज़िल तक पहुँची थी.
छोटे से बहुत प्यार है माँ को,
छोटा उसके श्रम का निचोड़ है.
4 टिप्पणियां:
Rakesh
16 जुलाई 2020 को 5:01 am बजे
बहुत खूब सर
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
shashi purwar
16 जुलाई 2020 को 5:37 am बजे
अच्छा है
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
anita _sudhir
16 जुलाई 2020 को 9:38 am बजे
गहन भाव
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
16 जुलाई 2020 को 6:47 pm बजे
वास्तविकता के दिग्दर्शन करानी सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत खूब सर
जवाब देंहटाएंअच्छा है
जवाब देंहटाएंगहन भाव
जवाब देंहटाएंवास्तविकता के दिग्दर्शन करानी सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं