कविताएँ
गुरुवार, 30 अप्रैल 2020
४३०.परिंदों से
'राग दिल्ली' में प्रकाशित मेरी कविता:
परिंदों!
मत इतराओ इतना
और भ्रम में मत रहना
कि यह दुनिया अब
हमेशा के लिए तुम्हारी हुई!
https://www.raagdelhi.com/poetry-onkar/
3 टिप्पणियां:
Yashwant R. B. Mathur
30 अप्रैल 2020 को 11:56 pm बजे
बहुत खूब सर!
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
30 अप्रैल 2020 को 11:56 pm बजे
बहुत सुन्दर
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
How do we know
14 मई 2020 को 11:43 pm बजे
Wah!!
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंWah!!
जवाब देंहटाएं