उसका घर-बार,
धन-संपत्ति,
ज़मीन-जायदाद,
सब कुछ छिन गया,
कुछ भी नहीं बचा,
जिसे वह अपना कह सके.
जिन्होंने छीना,
वे कहा करते थे
कि बहुत भला है वह,
अब सब कहते हैं,
बहुत भोला है वह.
सब कुछ लुटाकर
उसने तय किया है-
भला होने से
भोला होने तक का सफ़र.
धन-संपत्ति,
ज़मीन-जायदाद,
सब कुछ छिन गया,
कुछ भी नहीं बचा,
जिसे वह अपना कह सके.
जिन्होंने छीना,
वे कहा करते थे
कि बहुत भला है वह,
अब सब कहते हैं,
बहुत भोला है वह.
सब कुछ लुटाकर
उसने तय किया है-
भला होने से
भोला होने तक का सफ़र.
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (20-05-2019) को "चलो केदार-बदरी" (चर्चा अंक- 3341) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंWah!!! Sach mein, Wah!!!!!
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUBSUART
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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