बहुत दिन हो गए हँसे,
आओ, आज तोड़ दें बंधन,
भुला दें शिकवे-शिकायतें,
निकाल फेंकें मन का गुबार,
निहारें काँटों के बीच खिले फूल,
याद करें पुराने मीठे पल.
आओ, आज खुलकर हंसें,
ऐसे कि पागलों से लगें,
कि आंसू आ जाय आँखों में,
कि लोग देखें मुड़-मुड़ कर,
जैसे कि बाढ़ आ जाय
किसी गुमसुम नदी में अचानक.
आओ, आज खूब हंसें,
हँसते रहें सुबह से शाम तक,
जैसे आज हमें मरना हो.
कोई भी बंधन जब दूँ घोटने लगे ... तो उसका टूटना ही मुनासिब है .... और जो आपने अंत किया है वो कमाल का है ... !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..........
जवाब देंहटाएंआओ, आज खुलकर हंसें,
ऐसे कि पागलों से लगें,
आपने हँसने कहा...यहाँ आँख भर आई...
अनु
आओ, आज खूब हंसें,
जवाब देंहटाएंहँसते रहें सुबह से शाम तक,
जैसे आज हमें मरना हो.
...बहुत खूब! सच में हँसना ही जीवन की निशानी है...
आओ, आज खुलकर हंसें,
जवाब देंहटाएंऐसे कि पागलों से लगें,
कि आंसू आ जाय आँखों में,
कि लोग देखें मुड़-मुड़ कर,
जैसे कि बाढ़ आ जाय
किसी गुमसुम नदी में अचानक.
waah
अगर हम हंस सकें.. अपने सुखों के साथ अपने दु:खों पर, अपनी नाकामयाबियों पर, अपनी विडंबनाओं पर, अपने आप पर.. तो हम जीवन का अर्थ जान जाएंगे। सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंहंसते रहें सुबह से शाम तक जैसे हमे मरना हो...
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है!! मस्त कविता, जीवंत दर्शन।
सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
सुंदर भाव ...हँसना बहुत ज़रूरी है ॥
जवाब देंहटाएंहँसते रहे मुह खोलकर बरसों
जवाब देंहटाएंआज दिल खोलकर हंसा जाएँ (साभार परिवर्तित)
अति उत्तम रचना..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव अभिव्यक्ति....