२४.शहर की सड़कें
शहर की चौड़ी-चमचमाती सड़कें
लगातार फुट-पाथों को लीलतीं
ताकि बढाई जा सकें लेनें
और गाड़ियाँ दौड़ सकें सरपट.
मीलों लम्बे flyover
छलांगों में पार कर रहे चौराहे,
चिढ़ा रहे नीचे जलती-बुझती
बेबस-सी लाल बत्तियों को.
एक बूढ़ा थका-सा, बदहवास,
निढाल निरंतर कोशिश से
कि सड़क के उस पार पहुँच जाय,
जहाँ पिछले आधे घंटे से
उसका परिवार इंतज़ार में खड़ा है.
शहर की चौड़ी-चमचमाती सड़कें
लगातार फुट-पाथों को लीलतीं
ताकि बढाई जा सकें लेनें
और गाड़ियाँ दौड़ सकें सरपट.
मीलों लम्बे flyover
छलांगों में पार कर रहे चौराहे,
चिढ़ा रहे नीचे जलती-बुझती
बेबस-सी लाल बत्तियों को.
एक बूढ़ा थका-सा, बदहवास,
निढाल निरंतर कोशिश से
कि सड़क के उस पार पहुँच जाय,
जहाँ पिछले आधे घंटे से
उसका परिवार इंतज़ार में खड़ा है.
सच है...कोई कहीं अब भी जूझ रहा है इस तेज रफ़्तार से कदम मिलाने को...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना..
प्रभावशाली रचना.....
जवाब देंहटाएंएक बूढ़ा थका-सा, बदहवास,
जवाब देंहटाएंनिढाल निरंतर कोशिश से
कि सड़क के उस पार पहुँच जाय,
जहाँ पिछले आधे घंटे से
उसका परिवार इंतज़ार में खड़ा है.
raftaar thakaan si hai
आज के बढते तेज रफ्तार जिन्दगी में एक तबका ऐसा भी है जो परेशान है.
जवाब देंहटाएंNEW POST...फिर से आई होली...
NEW POST फुहार...डिस्को रंग...
दौड़ते दौड़ते थक गया है....अब और नहीं...
जवाब देंहटाएंसशक्त रचना...
बधाई.
हिम्मत .. बस हिम्मत की जरूरत है इस सड़क को हारने के लिए ...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंbahut khoobsoorat!!
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