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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

४२८. लॉकडाउन में

Sunset, Tree, Dusk, Dawn, Red, Glow

अच्छा है,ख़ुद से मुलाक़ात हो जाती है,
चिड़ियों से बात हो जाती है,
फूलों के रंग देख लेते हैं,
सूरज का डूबना देख लेते हैं.

पर याद आते हैं लोगों के रेले,
हाट में लगे सब्जियों के ठेले,
एक दूजे से टकराकर निकलना,
खोमचों पर खाने के लिए मचलना.

अच्छा है, घरवालों के साथ रहते हैं,
बहुत कुछ कहते,बहुत कुछ सुनते हैं,
पर याद आता है,पार्टियों के लिए सजना
और घर की कॉल बेल का अचानक से बजना.

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    मगर अब तो लॉकडाउन अभिशाप बन गया है।

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  2. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    26/04/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-04-2020) को     शब्द-सृजन-18 'किनारा' (चर्चा अंक-3683)    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति सर ,सादर नमन

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  5. वाह बहुत सुंदर । हर परिस्थिति को सकारात्मक दृष्टि से देखना ।
    सुंदर।

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  6. बहुत खूब ... यादें तो रहती हैं हर बात की ...

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  7. कुछ खोना कुछ पाना ....वर्तमान परिस्थिति की सरल,सहज और सकारात्मक विवेचना.
    बढ़िया ओंकारजी !

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