सालों-साल इस टी.वी. ने दिखाई हैं तुम्हें
रंगीन जीवंत तस्वीरें,
पंहुचाई हैं तुम तक
प्रिय-अप्रिय आवाजें.
सालों-साल तुम्हें सिखाया है
इस पुराने टी.वी. ने,
तुम्हारा दिल लगाया है इसने.
अब इस टी.वी. के रंग
कुछ फ़ीके पड़ गए हैं,
इसकी आवाज़ में थोड़ी
खरखराहट आ गई है,
पर तुम्हें लगता है
कि अब भी बहुत दम है इसमें.
थोड़ी मरम्मत हो जाय,
तो घर में रखा जा सकता है इसे,
काम आ सकता है यह पुराना टी.वी.
तुम्हारे टी.वी. से तो बेहतर हालत है मेरी,
फिर मुझे निकालने की बातें क्यों?
एक जीते-जागते से इतनी बेरुख़ी क्यों ?
मुझसे तो ज़्यादा किस्मतवाला
तुम्हारा यह पुराना टी.वी. है,
काश, मैं इंसान नहीं,टी.वी.होता.
रंगीन जीवंत तस्वीरें,
पंहुचाई हैं तुम तक
प्रिय-अप्रिय आवाजें.
सालों-साल तुम्हें सिखाया है
इस पुराने टी.वी. ने,
तुम्हारा दिल लगाया है इसने.
अब इस टी.वी. के रंग
कुछ फ़ीके पड़ गए हैं,
इसकी आवाज़ में थोड़ी
खरखराहट आ गई है,
पर तुम्हें लगता है
कि अब भी बहुत दम है इसमें.
थोड़ी मरम्मत हो जाय,
तो घर में रखा जा सकता है इसे,
काम आ सकता है यह पुराना टी.वी.
तुम्हारे टी.वी. से तो बेहतर हालत है मेरी,
फिर मुझे निकालने की बातें क्यों?
एक जीते-जागते से इतनी बेरुख़ी क्यों ?
मुझसे तो ज़्यादा किस्मतवाला
तुम्हारा यह पुराना टी.वी. है,
काश, मैं इंसान नहीं,टी.वी.होता.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-03-2017) को
जवाब देंहटाएं"खिलते हैं फूल रेगिस्तान में" (चर्चा अंक-2602)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी कल रविवार 05 मार्च 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।
जवाब देंहटाएंचर्चाकार
"ज्ञान द्रष्टा - Best Hindi Motivational Blog
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "ट्रेन में पढ़ी जाने वाली किताबें “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंकलयुग इसी को कहते हैं जव इंसान से जाता अहमियत घर का बेज़ान सामान पाने लगता हैं।
जवाब देंहटाएंसच्ची कविता
सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंउफ्फ्फ ..कितना सच
जवाब देंहटाएंकाश मैं टी वी होता ... काश ...
जवाब देंहटाएंगहरी रचना
bahut khoob
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
जवाब देंहटाएं