दुर्गा,
इस बार मैंने देखा,
तुम ज़रा उदास थी,
सिंह,जिस पर तुम सवार थी,
थोड़ा सुस्त-सा था,
शस्त्र जो तुमने थामे थे,
थोड़े कुंद-से थे,
महिषासुर के चेहरे पर
थोड़ी निश्चिन्तता थी.
दुर्गा,
तुम्हें विदा करते हुए
मैंने महसूस किया
कि इस बार यहाँ आकर
तुम्हें अच्छा नहीं लगा.
कोरोना के काल में आपकी कल्पना बेमिसाल है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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