जब सोख लिया था
रावण की नाभि का अमृत
राम के अग्नि-वाण ने,
तभी मरा था रावण.
सदियाँ बीत गईं,
पर लगता है,
पूरा नहीं किया था काम
राम के अग्नि-वाण ने,
बच गया था
रावण की नाभि में
थोड़ा-सा अमृत.
तभी तो जीवित है
अब तक रावण,
लौट आता है बार-बार
किसी-न-किसी रूप में,
जलता है हर दशहरे में,
पर अट्टहास करता
फिर आ धमकता है
अगले दशहरे में.
क्या कोई राम आएगा,
जो मार दे रावण को
हमेशा के लिए,
क्या कोई ऐसा तीर होगा,
जो सोख सके
रावण की नाभि का
बचा-खुचा अमृत?
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंhttps://ki-jaana-main-kaun.blogspot.com/2020/10/blog-post.html - Mera jawaab.
जवाब देंहटाएंजब रावण की नाभि का अमृत
जवाब देंहटाएंजला दिया था राम ने
अपने अग्नि-वाण से,
तभी मरा था रावण.,,,,।बहुत शानदार एवं सत्य,
तब तो एक रावण था अब असंख्य रावण हैं और वे भी बहुत खतरनाक। बचे हुए अमृत से पैदा हो जाते हैं हर साल
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति