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बुधवार, 3 जून 2020

४४२. विचारों से

A, I, Ai, Anatomy

विचारों,
घुस आओ अन्दर,
मैं कब से इंतज़ार में हूँ,
इतनी फ़ुर्सत में हूँ 
कि तुम्हारा स्वागत कर सकूँ,
देख सकूँ कि तुममें से 
किसे बोया जा सकता है,
सींचा जा सकता है,
बनाया जा सकता है 
एक हरा-भरा दरख़्त.

विचारों,
हिचको मत,
अन्दर आ जाओ,
जो लक्ष्मण-रेखा मैंने 
घर के बाहर खींची है,
वह तुम्हारे लिए नहीं है. 

11 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (05-06-2020) को
    "मधुर पर्यावरण जिसने, बनाया और निखारा है," (चर्चा अंक-3723)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 04 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. अच्छा लगा, आपका विचारों को आमन्त्रण देना।

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  4. सुंदर दऱ़ख्त़ दिख रहा है ।

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  5. विचारों,
    हिचको मत,
    अन्दर आ जाओ,
    जो लक्ष्मण-रेखा मैंने
    घर के बाहर खींची है,
    वह तुम्हारे लिए नहीं है.

    बहुत ही सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छा विचार अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. विचारों,
    हिचको मत,
    अन्दर आ जाओ,
    जो लक्ष्मण-रेखा मैंने
    घर के बाहर खींची है,
    वह तुम्हारे लिए नहीं है.


    विचारों से इस प्रकार बातें करना, बहुत ही खूब है

    💐💐💐

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  8. क्या बात है , इस अवधि में विचारशून्यता का अनुभव भी हुआ है ऐसे में इसतरह की रचना निकलना बहुत ही ईमानदार अभिव्यक्ति है .

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