बड़ी उम्मीद से आया था
मैं तुम्हारे पास कभी,
बहुत रोका था गाँव ने,
वहां के खेतों,बगीचों ने,
वहां के फूलों, पत्तों ने,
दूर तक पुकारता रहा था कोई,
पर मैं आ गया था अनसुना करके.
मेरे क़दमों में उत्साह था,
मेरी आँखों पर सपनों की पट्टी थी,
बड़ी अच्छी लग रही थी दूर से मुझे
तुम्हारी चौंधियाती रौशनी.
पर तुमने सब कुछ लूट लिया,
दर-दर का भिखारी बना दिया,
छीन लिया मुझसे मेरा
आत्म-विश्वास,आत्म-सम्मान.
कम-से-कम अब इतना तो करो
कि मुझे वापस गाँव जाने दो,
वादा है,इस बार गया,
तो कभी तुम्हारा मुँह नहीं देखूँगा.
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंयोगदिवस और पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
बहुत ही उम्दा लिखावट ,बहुत आसान भाषा में समझा देती है आपकी ये ब्लॉग धनयवाद इसी तरह लिखते रहिये और हमे सही और सटीक जानकारी देते रहे ,आपका दिल से धन्यवाद् सर
जवाब देंहटाएंAadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Ankit
हर मजदूर के मन की बात लिख दी आपने ...
जवाब देंहटाएंमजबूरी बेबसी .... काश सब दूर हो ...
bahut hi achhi kavita likhi hai aapne mujhe behad pasand aayi... tx for sharing
जवाब देंहटाएंसमय का सही तरीके से उपयोग कैसे करे
mujhe aapki kavita ye padh kar vahut achha lag me motivation ke uper self help ke uper article likhta hu.. aap visit kar sakte hai mere Blog par..
जवाब देंहटाएंkhuch post jinhe logo ne bahut pyar kiya or unki behad help hui
Hamesha Khuch rahne ke tarike
समय का सही तरीके से उपयोग कैसे करे
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बहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी सृजन ।
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