कोयल, तुम किसी भी समय क्यों गाने लगती हो? इस भरपूर उदासी में, जब सब घरों में बंद हैं, तुम्हारी ख़ुशी का राज़ क्या है? ज़रा हमें भी बताओ, हम भी भर लें अपनी ज़िन्दगी में थोड़ी-सी ख़ुशी, हम भी गा लें तुम्हारे साथ-साथ, तुम्हारे जितना नहीं, तो थोड़ा-सा ही सही.
तुम्हारी ख़ुशी का राज़ क्या है? ज़रा हमें भी बताओ, हम भी भर लें अपनी ज़िन्दगी में थोड़ी-सी ख़ुशी,....बहुत ही सुंदर रचना है ओंकार जी ... हर कोई दूसरा होनेा चाहता है ...#मृगतृष्णा जीवन की
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर .
जवाब देंहटाएंसादर
काश कोयल हो सके हर कोई ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ..
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंतुम्हारी ख़ुशी का राज़ क्या है?
जवाब देंहटाएंज़रा हमें भी बताओ,
हम भी भर लें
अपनी ज़िन्दगी में
थोड़ी-सी ख़ुशी,....बहुत ही सुंदर रचना है ओंकार जी ... हर कोई दूसरा होनेा चाहता है ...#मृगतृष्णा जीवन की
वाह बहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास है सर आप लोग से आग्रह है मेरे ब्लॉग पर भी विजिट करे इससे कवी की हौसला अफजाई होती है और हमें और अच्छी रचनाओं की प्रेरणा मिलती है
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