ये कैसी बारिश है?
पीले पत्ते शाख़ों पर हैं,
हरे झर रहे हैं,
पके फल पेड़ों पर हैं,
कच्चे टूट रहे हैं.
ये बारिश है कि बूंदा-बांदी?
न कोई बादल,
न कोई गड़गड़ाहट,
बिजली की कौंध भी नहीं,
उम्र तमाम हुई,
पर देखी नहीं कभी ऐसी बारिश.
आसमान से अचानक
गिर पड़ती हैं बूंदें,
न कोई सूचना,
न कोई संकेत,
न कोई चेतावनी.
सूरज चमकता रहता है
आकाश में बेशर्मी से,
देखता रहता है तमाशा,
झरती रहती हैं बूंदें,
पर नहीं बनता कहीं
कोई भी इंद्रधनुष.
धुंधले पड़ते रहते हैं रंग,
गिरते रहते हैं पेड़ों से
कच्चे फल और हरे पत्ते,
समझ में नहीं आता,
ये कैसी बारिश है?