top hindi blogs

सोमवार, 12 सितंबर 2011

४. लकडहारे से

फेंक दो कुल्हाड़ी,
सुस्ता लो कुछ देर,
मेरे पत्तों की छाँव में.

काट रहे हो कब से मुझे,
थक गए होगे तुम,
छाले तक पड़ गए  होंगे हाथों में.

अभी तो खड़ा हूँ मैं अपनी जगह,
पत्ते भी हैं हरे भरे,
पर कट चुका हूँ इतना
कि मरना तो अब तय है
और तय है पत्तों का सूख जाना.

अभी वक़्त है, सुस्ता लो छाँव में,
फिर काट लेना मुझे पूरी तरह,
भागकर कहीं नहीं जाऊँगा मैं,
जहाँ हूँ, वहीँ रहूँगा,
उस वक़्त भी तो खड़ा था चुपचाप,
जब तुमने मुझे काटना शुरू किया था.

रविवार, 4 सितंबर 2011

३.माँ 

क्या आपने कोई माँ देखी है 
जो अपने बच्चे से प्यार न करे, 
जो उसका भला न चाहे,
जो उसके दुःख से दुखी न हो,
जो उसकी ख़ुशी पर न मुस्कराए?

नहीं देखी होगी,
मैंने भी नहीं देखी,
किसी ने नहीं देखी.

एक औरत बुरी औरत तो हो सकती है,
बुरी माँ नहीं हो सकती.