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शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

२३७. हज़ार के नोट

मुझे नहीं लगना लाइनों में,
नहीं बदलवाने हज़ार के नोट,
हालाँकि कुछ पुराने नोट 
मेरे पास महफ़ूज़ रखे हैं.

कर दिए होंगे उन्होंने बंद
हज़ार के नोट,
पर जो मेरे पास रखे हैं,
अनमोल हैं.

इनमें किसी की 
उँगलियों की छुअन है,
किसी की झलक है इनमें,
ये नोट जब पास होते हैं,
तो मुझे लगता है,
किसी के साथ हूँ मैं.

मेरे हज़ार के नोट का मूल्य 
अगर टैक्सवालों को पता चल जाय,
तो मेरे लिए बताना मुश्किल हो जाय 
कि इतनी संपत्ति मैंने कैसे जमा की 
और इसके बारे में अब तक 
किसी को बताया क्यों नहीं.

शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

२३६. मछली



मैं कूद रही थी पानी में,
तैर रही थी बिना रुके,
इधर से उधर,
जहाँ भी मेरा मन किया,
मुझे लगा  
कि ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है,
जैसे पूरी दुनिया 
मेरे लिए ही बनी थी,
पर न जाने कब 
मैं जाल में फंस गई,
जाल, जो मेरे लिए ही 
किसी ने बिछा रखा था.
बहुत हाथ-पांव मारे मैंने,
बहुत तड़पी, बहुत चिल्लाई,
पर निकल नहीं पाई,
न ही जाल तोड़ पाई.
मैं क्यों सोच नहीं पाई 
कि जाल बिछानेवाले 
कमज़ोर हो सकते हैं,
पर जाल बहुत मजबूत होता है ?

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

२३५.समुद्र से


समुद्र, तुम रात-रात भर 
जो शोर करते हो,
किसे बुलाते हो?
माना कि तुम जानते हो,
यह सोने का समय नहीं है,
माना कि बहुत सी बाते हैं,
जो चीख-चीख के कहना ज़रूरी है,
पर कोई सुननेवाला भी तो हो.

समुद्र, यहाँ सब सो रहे हैं,
कोई नहीं सुन रहा तुम्हें,
किसी को फ़र्क नहीं पड़ता 
तुम्हारे गरजने से.

समुद्र, बंद करो चिल्लाना,
मेरी मानो,
थोड़ी देर तुम भी सो जाओ.

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

२३४. तकलीफ़

जो काँटा तुम्हारे पांव में चुभा है,
तुमको भी दुःख पहुंचाता है,
मुझे भी,
यह बात तुम भी जानते हो,
मैं भी,
पर शायद तुम यह नहीं जानते 
कि जो काँटा तुम्हारे पांव में चुभा है,
उससे तुम्हें जितनी तकलीफ़ है,
उससे ज़्यादा मुझे है.

काश कि काँटा मेरे पांव में चुभा होता,
काश कि मुझे तकलीफ़ कम होती.