
वह जो पहले अच्छा नहीं लगता था,
अब बहुत अच्छा लगता है,
वह जिसे देखना भी नहीं चाहता था,
अब उसे गले लगाना चाहता हूँ.
घर में रहकर सोचता रहा मैं
कि क्यों अच्छा नहीं लगता था वह,
क्यों नहीं करता था मन उसे देखने का,
पर वज़ह कोई मिली ही नहीं.
बहुत नुकसान किया लॉकडाउन ने,
पर हटा दिए उसने बहुत सारे जाले.
बहुत नुकसान किया लॉकडाउन ने,
जवाब देंहटाएंपर हटा दिए उसने बहुत सारे जाले.
सत्य कथन ...बहुत से जाले हटे हैं अकेले चिन्तन मनन से । सुन्दर रचना ।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 10 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सत्य दिमाग और घरों में लगे जाले हट गए
जवाब देंहटाएंमन पे लगे ताले हटाना ही मुश्किल होता है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ...
achhi kav ita hai. hindi me kahaniya
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे
जवाब देंहटाएंBest Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak