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मंगलवार, 9 जून 2020

४४५. जाले

Cobweb, Dark, Smoke, Mystical

वह जो पहले अच्छा नहीं लगता था,
अब बहुत अच्छा लगता है,
वह जिसे देखना भी नहीं चाहता था,
अब उसे गले लगाना चाहता हूँ.

घर में रहकर सोचता रहा मैं 
कि क्यों अच्छा नहीं  लगता था वह,
क्यों नहीं करता था मन उसे देखने का,
पर वज़ह कोई मिली ही नहीं.

बहुत नुकसान किया लॉकडाउन ने,
पर हटा दिए उसने बहुत सारे जाले.

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत नुकसान किया लॉकडाउन ने,
    पर हटा दिए उसने बहुत सारे जाले.
    सत्य कथन ...बहुत से जाले हटे हैं अकेले चिन्तन मनन से । सुन्दर रचना ।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 10 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बिलकुल सत्य दिमाग और घरों में लगे जाले हट गए

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  4. मन पे लगे ताले हटाना ही मुश्किल होता है ...
    अच्छी रचना ...

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