कैसे तय कर दी तुमने
उसकी नियति अकेले-अकेले?
कैसे भूल गए तुम
कि वह मेरी भी संतान है?
मैंने रचा है उसे
ख़ुद में छिपाकर,
महीनों तक सींचा है उसे
अन्दर-ही-अन्दर.
याद रखना
कि जिस संपत्ति का भविष्य
तुम तय करना चाहते हो,
वह तुम्हारी अकेले की नहीं
साझा संपत्ति है.
याद रखना
जवाब देंहटाएंकि जिस संपत्ति का भविष्य
तुम तय करना चाहते हो,
वह तुम्हारी अकेले की नहीं
साझा संपत्ति है.बहुत सुंदर और सार्थक सृजन
सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंकम से कम बच्चों का भविष्य तय करते समय तो माँ की राय भी लेनी चाहिए
जवाब देंहटाएंपुरुष प्रधान समाज में नारी को इतना भी हक नहीं..
विचारणीय प्रस्तुति
वाह!!!
हृदय स्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर और सराहनीय बेहतरीन प्रस्तुति
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