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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

४६१. गहने

grayscale photography of person wearing hoodie hiding face with both hands

बहुत प्यार करते थे 
सारे बच्चे माँ से,
सबने ले लिए 
धीरे-धीरे उसके गहने - 
किसी ने कंगन,
किसी ने हार,
किसी ने पायल,
किसी ने झुमके.

अब गहने ख़त्म हुए,
सिर्फ़ माँ बची है,
बच्चों में ढूंढती फिरती है 
वह पहले जैसा प्यार.

देर से समझ पाई है माँ 
गहनों से प्यार का रिश्ता.

12 टिप्‍पणियां:

  1. सटीक। जीवन का एक कड़ुवा पहलू ऐसा भी।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 24 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. देर से समझ पाई है माँ
    गहनों से प्यार का रिश्ता.
    कड़वी सच्चाई .. पता नहीं कब त्यागेंगे लोग गहनों का मोह . हृदयस्पर्शी सृजन .

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (२५-०७-२०२०) को 'सारे प्रश्न छलमय' (चर्चा अंक-३७७३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  5. जीवन सार हे आप की पंक्तियों में

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  6. रिश्तों की असलियत बतलाती सुंदर प्रस्तूति।

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  7. आज का कटु सत्य....
    मतलबी प्यार
    बहुत सुन्दर सार्थक एवं लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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