कोई-कोई रात
बहुत अंधेरी होती है,
पूनम का चाँद खिला हो,
तो भी ऐसा हो सकता है.
सब दिखता है आँखों से,
पर नींद जैसे रूठकर
कोसों दूर चली जाती है,
दिमाग़ जैसे सुन्न हो जाता है.
ऐसे में ख़ुद को थामे रखिए,
हाथों में हाथ डाले रहिए,
इंतज़ार कीजिए,
यह वक़्त भी गुज़र जाएगा.
कोई रात कितनी ही डरावनी क्यों न हो,
सुबह को आने से नहीं रोक सकती.
आशा ही जीवन है। सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुंदर संदेश देती, नव ऊष्मा देती रचना ।
जवाब देंहटाएंन जाने वो सुबह कब आएगी ...
जवाब देंहटाएंबस यही आशा है इस अंधेरी रात के बाद जल्द सूर्योदय हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
bilkul sach hai!
जवाब देंहटाएंबस यही तो जीवन है कभी दुःस्वप्न और कभी रेशमी अहसास से भरी सुबह का इंतज़ार - - बहुत सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंकोई रात कितनी ही डरावनी क्यों न हो,
जवाब देंहटाएंसुबह को आने से नहीं रोक सकती. ---सच कहा आपने...अक्सर तूफान के बाद अगली सुबह बहुत अधिक चमकीली होती है....वह हमारे लिए उम्मीदें भी बरसाती है...। सुंदर सृजन।
सच है! सुंदर आशापरक सृजन
जवाब देंहटाएं" यह वक़्त भी गुज़र जाएगा."- निश्चित रूप से वक्त, बुरा हो या अच्छा, गुजर ही जाएगा .. बस ! .. पीछे अपनी रफ़्तार के अनुसार ग़ुबार छोड़ जाएगा .. जिसे हमें झेलना होता है .. शायद ...
जवाब देंहटाएंसत्य कहा सुबह ज़रूर आयेगी!सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंहां सुबह तो जरूर आयेगी , सुंदर आशा का संदेश देती सुंदर रचना।
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