यह मत समझना
कि मुझे तुमसे प्रेम नहीं है,
उतना ही है,
जितना पहले था,
बल्कि उससे भी ज़्यादा,
फ़र्क़ बस इतना है
कि इन दिनों मुश्किल है
उसे व्यक्त करना.
तुम ही कहो
कि कैसे उतर सकता है प्रेम
शब्दों में या चेहरे पर,
जब लाशों के सिवा
कहीं कुछ दिखता ही नहीं,
चीखों के सिवा
कहीं कुछ सुनता ही नहीं.
सच सरल नहीं है सर्वथा विपरीत परिस्थितियों में कुछ भी व्यक्त कर पाना
जवाब देंहटाएंYery nice
जवाब देंहटाएंभावुक मन की संवेदनशील अभिव्यक्ति ।।
जवाब देंहटाएंयथार्थ को कहती हुई क्षणिकाएँ
सत्य को उद्घाटित करती संवेदनशील अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंकविता का ककहरा कोई आपसे सीखे। बहुत सुंदर लिखते हैं। लेखनी चलती रहे।
जवाब देंहटाएंजब भी आँखें मूंदें तो नदी में तैरती लाशें दिखती हैं. बहुत सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंमार्मिक हृदयस्पर्शी रचना ।
जवाब देंहटाएंमन को छूती अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर