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बुधवार, 12 मई 2021

५६५.लाशें


ये लाशें, जो बहकर आई हैं,

किनकी है, कहाँ से आई हैं?

किस गाँव,किस क़स्बे,किस शहर से, 

क्यों आई हैं, पता तो करो.  


ये बीमारों की लाशें हैं,

तो लावारिश-जैसी क्यों हैं?

अंतिम संस्कार तो होना था इनका, 

कोई तो अपना रहा होगा इनका.  


अपनों की कोई मजबूरी थी,

तो क्या थी, पता तो करो,

अंतिम संस्कार के लिए जगह कम थी

या छुटकारा चाहिए था किसी को?


ये बेजान लाशें सवाल कर रही हैं,

अब इन्हें जला दो या दफ़ना दो,

तो भी ये सवाल पूछना बंद नहीं करेंगी. 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल,आखिर बहती लाशों का राज क्या है? पता चलना ही चाहिए

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  2. मार्मिक रचना | आजकल इसी खबरें बहुत विचलित कर रही हैं | लाशें मौन रहकर भी सवाल तो करती ही रहेगी |

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  3. ये समय चीखता रहेगा, ये शव भी चीखते रहेंगे और ये दौर भी चीखता रहेगा...ये दर्द की पराकाष्ठा का दौर है...। गहरी रचना

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  4. कौन देगा इन सवालों के जवाब? शायद मानव का भय, लोभ या कोई और विकार ही इस हृदयहीनता का कारण है

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  5. प्रश्न पूछे जाते रहेंगे । जो अनुत्तरित ही रहेंगे ।
    मार्मिक प्रस्तुति ।

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