अगर आती रहीं ऐसे ही
अपनों के जाने की ख़बरें,
तो आदत सी पड़ जाएगी,
बहुत शर्म आएगी ख़ुद पर
जब फ़र्क पड़ना बंद हो जाएगा.
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इन दिनों मैं सहमा हुआ हूँ,
खटका लगा रहता है हर वक़्त
कि न जाने कब किसके
जाने की ख़बर आ जाय.
बहुत से अपने चले गए हैं,
न जाने किसका बुलावा आ जाय,
मैं जाने से नहीं डरता,
अकेला रह जाने से डरता हूँ.
बहुत शर्म आएगी ख़ुद पर
जवाब देंहटाएंजब फ़र्क पड़ना बंद हो जाएगा. ---वाह मन और हालात यही कह रहे हैं, आपने शब्दों की गहराई से वह बात कह दी जिसे आज हर व्यक्ति महसूस कर रहा है।
आज का दर्द और डर बयान करता हृदयस्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंआप ठीक कह रहे हैं ओंकार जी।
जवाब देंहटाएंदर्द या डर ... कम शब्दों में गहरी और दूर की बात ...
जवाब देंहटाएंsach hai!
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
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