top hindi blogs

गुरुवार, 20 मई 2021

५६८.आवाज़ें



मेरे कान सुन्न हो रहे हैं

मौत की ख़बरें सुन-सुनकर,

यह कैसा सिलसिला है,

जो थमने का नाम ही नहीं लेता?


धराशाई हो रहे हैं 

नए-पुराने पेड़,

हर वक़्त सुनाई देती है 

किसी के गिरने की आवाज़. 


हाहाकार मचा है चारों ओर,

क्रंदन गूँजता है हवाओं में,

कराहता है कोई आस-पास,

भागती है सायरन बजाती एम्बुलेंस. 


बंद करो ये आवाज़ें,

अगर ये जल्दी बंद नहीं हुईं,

तो मुझे डर है 

कि मैं कहीं बहरा न हो जाऊँ।


 

10 टिप्‍पणियां:

  1. धराशाई हो रहे हैं

    नए-पुराने पेड़,

    हर वक़्त सुनाई देती है

    किसी के गिरने की आवाज़. ---बहुत गहरी रचना है...

    जवाब देंहटाएं
  2. मौत की दहशत का आंखों देखा हाल।

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (20-05-2021 ) को 'लड़ते-लड़ते कभी न थकेगी दुनिया' (चर्चा अंक 4071) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  4. ऐसी परिस्थितियां देखकर सच में मन अभी बहुत विचलित और भावुक है। दिमाग परेशान और हैरान रहता है।
    आपने वर्तमान के सभी भावुक क्षण को समेट लिया है इस रचना के माध्यम से।

    जवाब देंहटाएं
  5. भयवाह स्थिति का चित्रण

    जवाब देंहटाएं
  6. भयावह पपरिस्थितियों का सही चित्रण हुवा है।

    जवाब देंहटाएं
  7. ऐसे लगता है जिंदगी सस्ती और मौत महँगी हो गई आजकल
    संवेनदशील और मर्मस्पर्शी सामयिक चिंतन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. कोरोना की भयावहता का मार्मिक चित्रण ।

    जवाब देंहटाएं
  9. मार्मिक कविता
    अच्छा चित्रण

    जवाब देंहटाएं