top hindi blogs

मंगलवार, 4 मई 2021

५६२.साँस


मुझे नहीं चाहिए

कोई एम्बुलेंस,

कोई अस्पताल,

कोई बेड,

कोई डॉक्टर,

कोई नर्स,

कोई इंजेक्शन,

कोई दवा. 


कुछ भी नहीं चाहिए मुझे,

पर आप ही कहें 

कि इस देश का नागरिक होने के नाते 

या इंसान होने के नाते 

साँस लेने के लिए 

थोड़ी-सी हवा पर  

मेरा हक़ है कि नहीं

और यह हवा मुझ तक पहुँचाना 

आपकी ज़िम्मेदारी है कि नहीं?

12 टिप्‍पणियां:

  1. प्रासंगिक प्रश्न करती सुंदर कृति।

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 07-05-2021) को
    "विहान आयेगा"(चर्चा अंक-4058)
    पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद

    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
  3. वाजिब सवाल
    सुंदर, सामयिक

    जवाब देंहटाएं
  4. वाकई ! अब हवा भी छीनी जा रही है, तथाकथित विकास के नाम पर दूषित किया जा रहा है जीवनरक्षक प्राणवायु को !

    जवाब देंहटाएं
  5. हक तो है परंतु जब पेड़ काटे जा रहे थे तो हम मौन रहकर देख रहे थे, विकास के नाम पर विनाश के बीज बोए जा रहे थे तो हम चुप रहे कि हमें क्या ?
    अब भुगत रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. हक अपने साथ जिम्मेदारियाँ लेकर भी आता है.... शायद हम मनुष्यों ने उन जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में कमी की थी....प्रासंगिक रचना....

    जवाब देंहटाएं
  7. उफ़ .... यही दिन बचे थे देखने के लिए और एक कवि को लिखने के लिए .

    जवाब देंहटाएं
  8. हर नागरिक यही सवाल लिए बैठा है काश हर नागरिक पहले से जागरूकता रखता अपने हिस्से का कर्त्तव्य निभाता।
    मर्मस्पर्शी रचना।

    जवाब देंहटाएं