'रागदिल्ली' वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी तीन कविताएँ.
बारिश से
बारिश, आज ज़रा जम के बरसना,
उन काँपती बूढ़ी हथेलियों में
थोड़ी देर के लिए ठहर जाना,
बहुत दिन हुए,
उन झुर्रियों को किसी ने छुआ नहीं है....
(पूरा पढ़ने के लिए लिंक खोलें)
https://www.raagdelhi.com/hindi-poetry-onkar/?
बहुत नाजुक रचना।
जवाब देंहटाएंवाह - वाह... बेहद गहरे भाव... हार्दिक बधाई भाई जी...
जवाब देंहटाएंवाव ... बहुत गहरे भाव ... सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंवाह!लाजवाब सर।
जवाब देंहटाएं"बहुत बोरिंग है मेरा गाँव,
जवाब देंहटाएंसोता रहता है अक्सर,
आराम से जागता है,
पर जल्दी में नहीं होता,
...
...
...
पर क्या करूँ, यही पसंद है मुझे,
सच कहूं, बुरा मत मानना,
तुम्हारे शहर में अब
मेरा मन नहीं लगता."
वाह!!! अद्भुत लिखा है आपने। वाकई गाँव बेहतरीन है, इसका कोई जवाब नहीं।
सादर अभिनंदन आपका। शुभकामनाएं।
बहुत अच्छी रचना, बहुत कुछ अनकहा कहती हुई ।
जवाब देंहटाएंआह ...
जवाब देंहटाएं