मंगलवार, 8 सितंबर 2020

४७८. तीन कविताएँ


'रागदिल्ली' वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी तीन कविताएँ.

बारिश से

बारिश, आज ज़रा जम के बरसना,
उन काँपती बूढ़ी हथेलियों में
थोड़ी देर के लिए ठहर जाना,
बहुत दिन हुए,
उन झुर्रियों को किसी ने छुआ नहीं है....

(पूरा पढ़ने के लिए लिंक खोलें)

https://www.raagdelhi.com/hindi-poetry-onkar/?


10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह - वाह... बेहद गहरे भाव... हार्दिक बधाई भाई जी...

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 11-09-2020) को "मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूँ " (चर्चा अंक-3821) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

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  3. वाव ... बहुत गहरे भाव ... सुन्दर रचना है ...

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  4. "बहुत बोरिंग है मेरा गाँव,
    सोता रहता है अक्सर,
    आराम से जागता है,
    पर जल्दी में नहीं होता,
    ...
    ...
    ...
    पर क्या करूँ, यही पसंद है मुझे,
    सच कहूं, बुरा मत मानना,
    तुम्हारे शहर में अब
    मेरा मन नहीं लगता."

    वाह!!! अद्भुत लिखा है आपने। वाकई गाँव बेहतरीन है, इसका कोई जवाब नहीं।
    सादर अभिनंदन आपका। शुभकामनाएं।

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  5. बहुत अच्छी रचना, बहुत कुछ अनकहा कहती हुई ।

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