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सोमवार, 18 मई 2020

४३६. चलो, सोचते हैं

Covid Doctor, Fight Corona, St

अपने-अपने घरों मेंक़ैद हैं सब,
चलो, सोचते हैं, बाहर के बारे में,
उस कामवाली बाई के बारे में,
जिसकी पगार काटने को तैयार रहते हैं,
उन दिहाड़ी मज़दूरों के बारे में,
जो रोज़ कमाते,रोज़ खाते हैं,
उन डॉक्टरों,नर्सों के बारे में,
जो जान पर खेलकर जान बचाते हैं.

महसूसने के लिए,
कुछ करने के लिए,
सड़कों पर निकलना,
हाथ मिलाना,
गले लगना,
बिल्कुल ज़रूरी नहीं है.

11 टिप्‍पणियां:

  1. चलो सोचते हैं...जरूर सोचना चाहिए हर किसी को....शायद संवेदना जग भी जाये...
    बहुत सुन्दर सार्थक सृजन...।

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  2. चिन्तनपरक अभिव्यक्ति .

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  3. सच है बिलकुल भी जरूरी नहीं है ... पर संवेदना रखना जरूरी है ...

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  4. यह सोच सबमें आ जाए बस. सही चिन्तन.

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  5. सार्थक सृजन आदरणीय सर.
    सादर

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. जी ये सब जरूर सोचना चाहिए एक संवेदना से भरे इंसान को 🙏

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