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सोमवार, 4 मई 2020

४३१. लॉकडाउन में गौरैया

Sparrows, Two, Birds, Pair, Plumage

घर में अकेले हो,
तो आने दो गौरैया को अन्दर,
बना लेने दो घोंसला,
चिंचियाने दो उसे,
हो जाने दो ज़रा-सी गन्दगी.

बस थोड़ा सा सह लो,
फिर देखना,
अकेले नहीं रहोगे तुम,
उदासी नहीं घेरेगी तुम्हें,
लॉकडाउन तुम्हें अच्छा लगेगा.

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब .. सच कहा है ..
    अच्छी और सच्ची साथी बन सकती हैं ये ...

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  2. हमेशा की तरह गंभीर अर्थों को सहेजती आपको प्यारी कविता।

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  3. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 5 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. वाह !बेहतरीन अभिव्यक्ति आदरणीय सर

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  5. गौरैया का संगीत वाकई मन को भाता है।

    सादर

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  6. प्रकृति के लिए खोले गये दरवाजों से सदैव.सकारात्मकता का प्रवेश होता है।
    सुंद संदेश।
    सदर।

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  7. आदरणीय ओंकार जी, आपने सरल, सहज शब्दों में युगीन सच्चाई को अभिव्यक्ति दी है।
    बस थोड़ा सा सह लो,
    फिर देखना,
    अकेले नहीं रहोगे तुम,
    उदासी नहीं घेरेगी तुम्हें,
    लॉकडाउन तुम्हें अच्छा लगेगा. --ब्रजेन्द्र नाथ

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  8. सच, सुबह सुबह पक्षी की चहचाहट से लगता है कि हम अकेले नहीं. बहुत सुन्दर.

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  9. कम शब्दों में गहरी बात ,भावपूर्ण सृजन सर ,सादर नमस्कार

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  10. बहुत अच्छा लगता है.
    गौरैया का साथ रहना.
    चहकना.चहचहाना.
    साथ रह कर देखा है.

    वाह !

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