top hindi blogs

बुधवार, 13 मई 2020

४३४. लॉकडाउन में

Road, Sunrise, Trees, Avenue, Yellow

आओ, बालकनी में चलें,
सूरज को उगते हुए देखें,
परिंदों को चहकते हुए सुनें,
पत्तियों को हिलते हुए देखें.

महसूस करें कि सुबह-सुबह 
हवा कितनी ताज़ा होती है,
फूल कितने सुन्दर लगते हैं,
तितलियाँ कैसे मचलती हैं.

लताएँ कसकर लिपट गई हैं 
ऊंचे पेड़ों के सीने से,
बादल घूम रहे हैं आकाश में 
इधर से उधर मस्ती में.

शाम को खिड़की पर खड़े होंगे,
डूबता हुआ सूरज देखेंगे,
महसूस करेंगे कि उगते सूरज से 
डूबता सूरज कितना अलग होता है.

आओ, देख लें अनदेखा,
सुन लें अनसुना,
न जाने फिर ऐसा अवसर 
कभी मिले न मिले.

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 14 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रकृति का मनोहारी चित्रण...बहुत सुन्दर सृजन .

    जवाब देंहटाएं
  3. आओ, देख लें अनदेखा,
    सुन लें अनसुना,
    न जाने फिर ऐसा अवसर
    कभी मिले न मिले.
    सही बात है जीवन की आपाधापी में इनसबके लिए समय कहाँ
    बहुत सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  4. उगते सूरज से डूबता सूरज कितना अलग होता है।
    अप्रतिम भावाभिव्यक्ति!--ब्रजेंद्रनाथ

    जवाब देंहटाएं
  5. एकदम सच है! बहुत सुंदर रचना!

    जवाब देंहटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०५-२०२०) को 'विडंबना' (चर्चा अंक-३७०३) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  7. इस लॉकडाउन में लोग तमाम दिक्कतें उठा रहे हैं, लेकिन प्रकृति खूब खिल गई है. यही समय है प्रकृति के साथ आनन्द लिया जाए.

    जवाब देंहटाएं
  8. " कल का पता नहीं "आज इसे जीभर के देख ही ले ,सुंदर चित्रण ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं