कम शब्दों में बड़ी बात।
बहुत खूब 👌
सादर नमस्कार,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-05-2020) को "घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं" (चर्चा अंक-3716) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।…"मीना भारद्वाज"
रचना पढ़ ली है। बहुत ही सटीक । एक संवेदनाओं से भरे मन के लिए , भयावहता लिएजीवन के वो मर्मांतक अनुभव देखना बहुत पीड़ादायक है। बहुत मार्मिक ही आपकी रचना , ओंकार जी 🙏🙏
कम शब्दों में बड़ी बात।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-05-2020) को
"घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं" (चर्चा अंक-3716) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
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"मीना भारद्वाज"
रचना पढ़ ली है। बहुत ही सटीक । एक संवेदनाओं से भरे मन के लिए , भयावहता लिएजीवन के वो मर्मांतक अनुभव देखना बहुत पीड़ादायक है। बहुत मार्मिक ही आपकी रचना , ओंकार जी 🙏🙏
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