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शनिवार, 16 मई 2020

४३५. तब और अब

Stay Home, Lockdown, Stay Safe

जब मिलने के अवसर बहुत थे,
हम कतराकर निकल जाते थे,
अब लॉकडाउन में घर पर हैं,
तो मिलने को तरसते हैं.
***
जब सड़कें भरी होती थीं,
हम खोजते थे शांति,
अब सब शांत है,
तो हमें चाहिए कोलाहल.
***
जब समय नहीं मिलता था,
हम तलाशते थे आराम,
अब समय ही समय है,
तो हम खोजते हैं काम.


10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही कहा।
    विवशता है जी कोरोना के कारण।

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (04 मई 2020) को 'गरमी में जीना हुआ मुहाल' (चर्चा अंक 3705) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. संशोधन-
      आमंत्रण की सूचना में पिछले सोमवार की तारीख़ उल्लेखित है। कृपया ध्यान रहे यह सूचना आज यानी 18 मई 2020 के लिए है।
      असुविधा के लिए खेद है।
      -रवीन्द्र सिंह यादव

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  4. बहुत ही सही बात है आप की रचना में। बहुत सुंदर।

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  5. मानव मन की यही विडंबना है जो नहीं मिलता उसे पाने दौड़ता है. सार्थक और बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर.
    सादर

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  6. कोरोना के कारण आज का सत्य यही है . सुन्दर रचना .

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