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सोमवार, 11 मई 2020

४३३. लॉकडाउन में साथ-साथ

Couple, Female, Love, Male, Man

लॉकडाउन में हैं,
साथ-साथ हैं,
मगर चुप हैं,
महसूस कर रहे हैं
रिश्तों की भीनी-सी आंच.

कुछ बोलेंगे,
तो कम हो सकती हैं  
ये नजदीकियाँ,
शब्दों के नीचे 
दब सकते हैं अहसास.

इतना बहुत है 
कि हम साथ-साथ हैं,
बोलना ज़रूरी नहीं है,
बोलने से कहीं 
बेअसर न हो जाय लॉकडाउन.

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-05-2020) को   "अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3700)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. इतना बहुत है
    कि हम साथ-साथ हैं,
    बोलना ज़रूरी नहीं है,
    बोलने से कहीं
    बेअसर न हो जाय लॉकडाउन.
    बहुत ही उम्दा.., लाजवाब सृजन ।

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  3. वाह! अब क्या लिखें! शब्दों के नीचे दब सकते हैं अहसास!!!

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  4. यह मंज़ूरी के बाद दिखने वाला सिस्टम हटाइए।

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सर

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