असली गुलाब चाहिए,
तो कांटे भी स्वीकार करो,
वरना काग़ज़ के गुलाब ढूंढो,
उनमें न सुगंध होगी,न कांटे,
कांटे हुए भी, तो चुभेंगे नहीं.
वाह।
बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित..
सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9-2-21) को "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव"(चर्चा अंक- 3972) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। -- कामिनी सिन्हा
वाह!सटीक ।सुंदर कथन ।
प्रभावशाली,सुन्दर सृजन।
बिलकुल सही सटीक
wahhh! Bilkul sahi baat.
वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित..
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9-2-21) को "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव"(चर्चा अंक- 3972) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
वाह!सटीक ।
जवाब देंहटाएंसुंदर कथन ।
प्रभावशाली,सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही सटीक
जवाब देंहटाएंwahhh! Bilkul sahi baat.
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