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सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

५३२. गुलाब



असली गुलाब चाहिए,

तो कांटे भी स्वीकार करो,

वरना काग़ज़ के गुलाब ढूंढो,

उनमें न सुगंध होगी,न कांटे,

कांटे हुए भी, तो चुभेंगे नहीं.

7 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9-2-21) को "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव"(चर्चा अंक- 3972) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा




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