पिता, तुम्हें याद है न,
कौए मुझे कितने नापसंद थे,
सख़्त नफ़रत थी मुझे
उनकी काँव-काँव से,
उनका मुंडेर पर आकर बैठना
बिल्कुल नहीं सुहाता था मुझे,
उड़ा देता था मैं उन्हें
तरह-तरह के उपाय करके.
पर जब से तुम गए हो,
मुझे कौए अच्छे लगते हैं,
उनकी काँव-काँव अब
कर्कश नहीं लगती मुझे.
मैं बुलाता हूँ उन्हें
कटोरी में पकवान रखकर,
इंतज़ार करता हूँ उनका,
पर वे आते ही नहीं,
दूर से देखते रहते हैं.
पिता, अगर उस झुण्ड में तुम हो,
तो चले आओ अपनी मुंडेर पर,
अब मैं पहले जैसा नहीं रहा,
अब मुझे कौओं से प्यार हो गया है.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 24 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंओह , पिता की स्मृति विचार भी बदल देती है ।भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०२-२०२१) को 'असर अब गहरा होगा' (चर्चा अंक-३९८८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण कविता
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2050...क्योंकि वह अपनी प्रजा को खा जाता है... ) पर गुरुवार 25 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी! छोटे में भाव कहना आपका हूनर है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
वाह..भावपूर्ण अभिव्यक्ति..सुन्दर दृश्यावलोकन..
जवाब देंहटाएंसारगर्भित और सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंपिता, अगर उस झुण्ड में तुम हो,
जवाब देंहटाएंतो चले आओ अपनी मुंडेर पर,
अब मैं पहले जैसा नहीं रहा,
अब मुझे कौओं से प्यार हो गया है.
हृदयस्पर्शी, बहुत ही सुंदर सृजन,सादर नमन
मर्मस्पर्शी ।
जवाब देंहटाएंपर जब से तुम गए हो,
जवाब देंहटाएंमुझे कौए अच्छे लगते हैं,
उनकी काँव-काँव अब
कर्कश नहीं लगती मुझे.
मैं बुलाता हूँ उन्हें
कटोरी में पकवान रखकर,
इंतज़ार करता हूँ उनका,
पर वे आते ही नहीं,
दूर से देखते रहते हैं.
पिता, अगर उस झुण्ड में तुम हो,
तो चले आओ अपनी मुंडेर पर,
अब मैं पहले जैसा नहीं रहा,
अब मुझे कौओं से प्यार हो गया है.
मार्मिक हृदस्पर्शि, भावपूर्ण नमन
आह!! कितने मार्मिक शब्द हैं!! आँखें नम कर गया- पिता को ये हृदय स्पर्शी उद्बोधन 🙏🙏
जवाब देंहटाएंपिता, अगर उस झुण्ड में तुम हो,
जवाब देंहटाएंतो चले आओ अपनी मुंडेर पर,
अब मैं पहले जैसा नहीं रहा,
अब मुझे कौओं से प्यार हो गया
👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏🙏