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गुरुवार, 7 जनवरी 2021

५२२. नववर्ष


आ गया नववर्ष,

स्वागत करो उसका,

पर उम्मीदें मत बांधो,

बहुत तकलीफ़ होती है,

जब टूटती हैं उम्मीदें.

**

बीते साल ने कहा,

साल भर का साथ भी 

कोई साथ होता है क्या?

अच्छा लगा,

तो विदा क्यों किया,

बुरा लगा,

तो मौक़ा क्यों नहीं दिया?


9 टिप्‍पणियां:

  1. सदैव की तरह सुन्दर और चिन्तनपरक सृजन ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को   ♦बगिया भरी बबूलों से♦   (चर्चा अंक-3942)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  3. अच्छा लगा,
    तो विदा क्यों किया,
    बुरा लगा,
    तो मौक़ा क्यों नहीं दिया?

    बेहतरीन रचना...
    बहुत सुंदर...

    जवाब देंहटाएं
  4. **

    बीते साल ने कहा,

    साल भर का साथ भी

    कोई साथ होता है क्या?

    अच्छा लगा,

    तो विदा क्यों किया,

    बुरा लगा,

    तो मौक़ा क्यों नहीं दिया?
    ,,,,,,,, बहुत सुंदर रचना हमेशा की तरह ।

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  5. बहुत सुंदर सृजन।
    छोटे में गहरी बात होती है आपके लेखन में सदा।

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