चिड़िया,
क्यों चीं-चीं कर रही हो,
कौन है जो सुनेगा तुम्हें,
किसे फ़ुर्सत है इतनी,
अगर सुनना भी चाहे,
तो इस भीषण कोलाहल में
किसके कानों तक पहुँच पाएगी
तुम्हारी कमज़ोर सी आवाज़?
चिड़िया,
कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें इस शहर में,
घोंसला बनाने की जगह तक नहीं,
घुट-घुट कर मर जाओगी यहाँ
मेरी मानो, गाँव लौट जाओ.
वाह,🌻
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश देकर, सजग करती सुन्दर पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंमुग्ध करती रचना - - सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... लौटना चिड़िया का ...
जवाब देंहटाएंचिड़िया के माध्यम से उपयोगी सुझाव।
जवाब देंहटाएंपर्यावरण के खौफनाक पहलू को दर्शाती रचना
जवाब देंहटाएंचिड़िया के माध्यम से बिगड़ते पर्यावरण पर सटीक चिंतन।
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