आसमान वही है,
चाँद वही है,
सितारे भी वही हैं,
पर बहुत देख लिया तुमने
खिड़की के पीछे से इन्हें.
अब ज़रा घर से बाहर निकलो,
खुले में आओ,
तुम्हें पता तो चले
कि जिस आसमान और चाँद को देखकर
तुम ख़ुश हो लिया करते थे,
वे वास्तव में कितने सुन्दर हैं
और जिन सितारों को देखकर
तुम्हारी आँखें खुली रह जाती थीं,
उनकी असली चमक तो
तुमने कभी देखी ही नहीं.
सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर।
वाह
जवाब देंहटाएंसार्थक और सुन्दर रचना।
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गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुंदर,यथार्थपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंसुंदर बहुत सुंदर नमस्कार
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