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रविवार, 24 जनवरी 2021

५२८. असली चमक


आसमान वही है,

चाँद वही है,

सितारे भी वही हैं,

पर बहुत देख लिया तुमने 

खिड़की के पीछे से इन्हें.


अब ज़रा घर से बाहर निकलो,

खुले में आओ,

तुम्हें पता तो चले 

कि जिस आसमान और चाँद को देखकर 

तुम ख़ुश हो लिया करते थे,

वे वास्तव में कितने सुन्दर हैं

और जिन सितारों को देखकर 

तुम्हारी आँखें खुली रह जाती थीं,

उनकी असली चमक तो 

तुमने कभी देखी ही नहीं.

6 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और सुन्दर रचना।
    --
    गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

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