तुमने तो कह दिया
कि तुम्हें मुझसे प्यार है,
पर मुझे अभी तय करना है.
कई विकल्प हैं मेरे पास,
कहाँ नफ़ा ज़्यादा है,
कहाँ नुकसान कम है,
मुझे आकलन करना है.
जब हिसाब हो जाएगा,
पड़ताल पूरी हो जाएगी,
तभी बता सकूंगा तुम्हें
कि मुझे तुमसे प्यार है या नहीं.
लैला-मजनूँ,शीरीं-फरहाद,
हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट,
कहानियों की बातें है,
अब न अँधा प्यार है,
न पहली दृष्टि का प्यार.
बदले समय में ज़रूरी है
कि हम सोच-समझकर
नफ़ा-नुकसान देखकर
प्यार करना सीख लें.
हम सोच-समझकर
जवाब देंहटाएंनफ़ा-नुकसान देखकर
प्यार करना सीख लें.
यह भी सही कहा आपने।
सुंदर कुछ अलग-सी रचना।
सादर।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 29 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!।
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत सृजन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा ओंकार जी...अब न अँधा प्यार है,
जवाब देंहटाएंन पहली दृष्टि का प्यार....सब व्यापार है जो दिल से नहीं दिमाग से किया जाता है
अब न अँधा प्यार है,
जवाब देंहटाएंन पहली दृष्टि का प्यार.
सत्य कथन..सदैव की तरह चिन्तनपरक सृजन । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आज के दौर की यह भी एक सच्चाई है। बहुत खूब। सादर। आपको नव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबदले समय में ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंकि हम सोच-समझकर
नफ़ा-नुकसान देखकर
प्यार करना सीख लें.
प्रेम के संदर्भ में आज के दौर पर करारा कटाक्ष करती सुंदर रचना 🌹🙏🌹
Really good
जवाब देंहटाएंblogging kya hai
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