शाम होने को है,
उतर रहा है झील में
लहूलुहान सूरज,
बेसब्री से देख रहे हैं
किनारे पर खड़े लोग.
मैं सोचता हूँ,
किसी को डूबते हुए देखना
इतना अच्छा क्यों लगता है.
सच कहा आपने, परंतु सूर्य तो अतिशयोक्ति हैं..सुंदर कृति..
प्रश्न बेहद संवेदनशील है।।।। लाजवाब
बहुत बढ़िया सर
बहुत सुन्दर रचना
वाह
बेहतरीन सृजन ।
सुन्दर सृजन।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
किसी को डूबते हुए देखना इतना अच्छा क्यों लगता है.–क्या सच में सबको...तोसाधु बिच्छू वाली कहानी क्या कह गयी..
मन की अवस्था हमारी दृष्टि बन जाती है ।ढलते सूरज की रंग शाला,किसी को मन की चोट,किसी को सुनहरी शामनज़र आती है ।इस अनुभूति के बहाने मनोदशा समझने का भाव जगाने के लिए हार्दिक आभार ।
क्या बात ... कभी कभी डूबना उभरने की निशानी हो जाती है ...
''किसी को डूबते हुए देखना इतना अच्छा क्यों लगता है''...... गजब !
प्रभावशाली लेखन - - नमन सह।
क्या बात है ।
शानदार,आखिरी पंक्ति में रचना का निचोड़ है, सच है
सच कहा आपने, परंतु सूर्य तो अतिशयोक्ति हैं..सुंदर कृति..
जवाब देंहटाएंप्रश्न बेहद संवेदनशील है।।।। लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकिसी को डूबते हुए देखना
जवाब देंहटाएंइतना अच्छा क्यों लगता है.
–क्या सच में सबको...
तो
साधु बिच्छू वाली कहानी क्या कह गयी..
मन की अवस्था
जवाब देंहटाएंहमारी दृष्टि
बन जाती है ।
ढलते सूरज की
रंग शाला,
किसी को
मन की चोट,
किसी को
सुनहरी शाम
नज़र आती है ।
इस अनुभूति के बहाने मनोदशा समझने का भाव जगाने के लिए हार्दिक आभार ।
क्या बात ... कभी कभी डूबना उभरने की निशानी हो जाती है ...
जवाब देंहटाएं''किसी को डूबते हुए देखना इतना अच्छा क्यों लगता है''...... गजब !
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली लेखन - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंक्या बात है ।
जवाब देंहटाएंशानदार,आखिरी पंक्ति में रचना का निचोड़ है, सच है
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