सुनो कलाकार,
गली-गली घूमकर
चिल्लाने से क्या फ़ायदा,
यहाँ सभी बहरे हैं,
कोई नहीं ख़रीदेगा
तुम्हारा सामान,
कोई नहीं पहचानेगा
तुम्हारा हुनर.
अगर चाहते हो
कि तुम्हारा सामान बिके,
तुम्हारे हुनर की क़द्र हो,
तो गली-गली घूमना छोड़ो,
चुपचाप घर बैठो.
यह बात गांठ बाँध लो
कि पुकारकर बेचने से
अनमोल चीज़ की भी
कोई क़ीमत नहीं होती.
वाह।
जवाब देंहटाएंवाह , सच है , बेहतरीन अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सही
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