दो गज की दूरी रखिए,
सुरक्षित रहिए,
पर याद रहे
कि दिलों के क़रीब होने पर
कोरोना के दिनों में भी
कोई पाबंदी नहीं है.
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थोड़ी दूरी बनाए रखिए,
बहुत ज़रूरी है इन दिनों,
पर इतनी दूर मत जाइए
कि दिखाई ही न दे
चेहरों पर फैली उदासी.
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दूरी बनाई,
साबुन लगाया,
सेनेटाइज़र छिड़का,
पास नहीं फटका कोरोना,
पर बच नहीं सका मैं
पुरानी कड़वी यादों से.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 26 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह। पुरानी यादों को भला कौन भूल सकता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सन्देशप्रद रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंअसाधारण सृजन - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंवर्तमान संदर्भ हेतु अत्यंत आवश्यक
जवाब देंहटाएंसुंदर व सार्थक रचना।
बहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंशानदार अभिव्यक्ति 👌👌👌
जवाब देंहटाएंसच है दिल से दूर क्यों रहे ...
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