वह कौन है,
जिसकी आवाज़
हर ओर सुनाई देती है,
जिसकी हँसी
हमेशा कानों में गूंजती है?
कई दिन बीत गए,
जिसे विदा किए,
पर जिसकी सूरत
हर तरफ़ दिखाई पड़ती है.
यह कैसा भ्रम है
कि वह दिखता भी है
और नहीं भी,
वह वाचाल भी है
और चुप भी,
वह है भी
और नहीं भी.
असल में वह नहीं है,
पर अपने न होने में
वह पहले से कहीं ज़्यादा है,
जैसे कि वह पूरा ज़िन्दा हुआ हो
अपनी मौत के बाद.
बहुत सुन्दर। बाकी अटल जी एक पंक्ति है "मौत सामने आकर खड़ी हो गई, मानो जिंदगी से बड़ी हो गई।"
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंरूप-चतुर्दशी और धन्वन्तरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
दीप पर्व शुभ हो।
जवाब देंहटाएंओह्ह
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना
शुभकामना
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली सपरिवार शुभ और मंगलमय हो।
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
वाह! एकदम सच है! Sorry for your loss sir.
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली लेखन - - दीपावली की असंख्य शुभकामनाएं - - नमन सह।
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