इस साल दिवाली में
बुझ गया एक दीया,
जिसे बुझना नहीं था.
उसमें तेल पूरा था,
उसकी बाती ठीक थी,
हवाएं भी ख़ामोश थीं,
फिर भी वह बुझ गया.
इस तरह असमय
जब बुझ जाता है
कोई जगमगाता दीया,
तो ऐसा घना अँधेरा छाता है
कि सैकड़ों दीये मिलकर भी
उसे दूर नहीं कर सकते.
फ़िर भी।शुभ हो मंगलमय हो दीप पर्व।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 16 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
एकदम ठीक। ऐसा अंधेरा बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।
हृदयस्पर्शी सृजन सर. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
उस बुझे दीये को देखने वालों के दर्द का समानुभूति है मुझे
वाह!बेहतरीन !
मार्मिक
बस एक आह ...
फ़िर भी।
जवाब देंहटाएंशुभ हो मंगलमय हो दीप पर्व।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 16 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंएकदम ठीक। ऐसा अंधेरा बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी सृजन सर. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंउस बुझे दीये को देखने वालों के दर्द का समानुभूति है मुझे
जवाब देंहटाएंवाह!बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंमार्मिक
जवाब देंहटाएंबस एक आह ...
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