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मंगलवार, 18 अगस्त 2020

४७१. आँसू

Sad, Cry, Tear, Facebook, Reaction

मेरे आँसू मेरी बात नहीं सुनते,

मैं बहुत कहता हूँ 

कि पलकों तक मत आना,

अगर आ भी जाओ,

तो बाहर मत निकलना,

पर आँसू कहते हैं,

'सब कुछ तुम पर निर्भर है,

तुम बहुत ख़ुश

या बहुत उदास मत हुआ करो,

हम दूर ही रहेंगे,

किसी को पता नहीं चलेगा 

कि तुम रोते भी हो.

वैसे हमें इतना समझा दो 

कि हम सामने आते हैं,

तो तुम्हें शर्म क्यों आती है,

आख़िर तुम भी तो आदमी हो.'

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 19 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत खूब,पता नहीं ख़ुशी हो या गम ये कमबख्त आंसूं कहाँ से आ जाते है,सुंदर सृजन ,सादर नमन सर

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  3. अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

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