मेरा नाम पुराने स्टाइल का है,
थोड़ा लम्बा भी है,
मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है,
पर यही नाम जब कभी
उसके होंठों पर होता है,
मुझे अच्छा लगता है.
उसकी आवाज़ में घुलकर
मेरा नाम बन जाता है सुरीला,
मिल जाती है उसे नई पहचान.
यही वह पल है,
जब मुझे लगता है,
शेक्सपियर ने सही कहा था
कि नाम में कुछ नहीं रखा.
यही वह पल है,
जब मुझे लगता है
कि नाम लम्बा होना चाहिए,
कुछ देर होंठों पर तो रहे.
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंनाम तो बहुत अच्छा है। कविता भी अच्छी लगी। हार्दिक शुभकामनाएं ।
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