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सोमवार, 24 अगस्त 2020

४७३.नाम

Girl, Woman, Female, Person, Mountain

मुझे अच्छा लगता है अपना नाम,

जब पुकारता है कोई धीरे से 

अक्षर-अक्षर में भरकर 

ढेर-सारा प्यार.


भीगी हवाओं की तरह 

मेरे कानों तक पहुँचता है मेरा नाम,

ख़ुशी से भर देता है मेरा पोर-पोर.


मैं कोई जवाब नहीं देता,

बस कान खुले रखता हूँ,

चाहता हूँ कि पुकारनेवाला 

पुकारता ही रहे मेरा नाम,

जवाब दे दूंगा,तो कैसे सुनूँगा

बार-बार लगातार 

उसके मुँह से अपना नाम?

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 25 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत खूब ... सच है पुकार लिए तो बात शुरू ... नाम गुम ...

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