बहती चली जाती है नदी,
आवाज़ देकर बुलाती है,
प्यासों की प्यास बुझाती है,
इंसान,जानवर,परिंदा -
जो चाहे आए,
जितना चाहे पानी पी जाए,
बदले में कुछ नहीं मांगती,
शुक्रिया भी नहीं,
आगे निकल जाती है नदी.
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चट्टानों से टकराती है,
जंगलों से गुज़रती है,
अपना रास्ता ख़ुद बनाती है,
अनवरत संघर्ष करती है,
कभी थकती नहीं,
कभी रुकती नहीं,
गुनगुनाना नहीं छोड़ती
यह मस्तमौला नदी.
सत्य सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंमस्तमौला नदी...शुक्रिया भी नहीं चाहती...
बहुत सुन्दर।
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंज़िंदगी भी काश इसी नदी की तरह मस्तमौला होती.
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